अलीगढ़ -मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, नोएडा में डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम ने एक दुर्लभ और जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस प्रक्रिया में एक ABO-इनकंपैटिबल किडनी ट्रांसप्लांट किया गया, जिसमें डोनर की किडनी से एक ट्यूमर भी हटाया गया। इस तरह का ऑपरेशन ट्रांसप्लांट सर्जरी में बहुत ही कम मामलों में किया गया है।
60 वर्षीय मरीज, जिनका ब्लड ग्रुप B+ था, दो वर्षों से डायलिसिस पर थे और उन्हें शीघ्र किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी। उनके लिए उपयुक्त डोनर उनकी 58 वर्षीय पत्नी ही थीं, जिनका ब्लड ग्रुप A+ था, जो इनकंपैटिबल था। अन्य कोई विकल्प न होने के कारण, ट्रांसप्लांट टीम ने इस चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया को करने का निर्णय लिया।
सर्जरी से पहले की जांच के दौरान, डोनर की बाईं किडनी में लगभग 4.2 सेंटीमीटर का बेनाइन ट्यूमर पाया गया, जो एक गोल्फ बॉल के आकार के बराबर था, जिससे सर्जरी और अधिक जटिल हो गई।
इस बारे में जानकारी देते हुए, मैक्स अस्पताल नोएडा के किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के हेड और यूरोलॉजी, रोबोटिक्स व किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अमित के देवरा ने बताया कि “अधिकांश मामलों में इस तरह के ट्यूमर को किडनी निकालने के बाद 'बेंच सर्जरी' तकनीक से हटाया जाता है। लेकिन इस सर्जरी में ट्यूमर हटाना और ABO-इनकंपैटिबल ट्रांसप्लांट एक साथ करना बहुत अधिक को-ऑर्डिनेशन और प्रिसिशन की मांग करता है।”
उन्होंने आगे बताया, “ABO-इनकंपैटिबल ट्रांसप्लांट में मरीज के रक्त में मौजूद एंटीबॉडी को कम करने के लिए प्लाज्माफेरेसिस की आवश्यकता होती है ताकि ऑर्गन रिजेक्शन का खतरा घटाया जा सके। हालांकि, इससे प्लेटलेट और क्लॉटिंग फैक्टर भी कम हो जाते हैं, जिससे ब्लीडिंग का खतरा बढ़ता है। मरीज को सर्जरी से पहले दो बार प्लाज्माफेरेसिस दी गई। पूरे ऑपरेशन के दौरान क्लॉटिंग प्रोफाइल की सावधानीपूर्वक निगरानी की गई।”
सर्जरी के दौरान डोनर की किडनी सफलतापूर्वक निकाली गई, ट्यूमर को 'बेंच' पर हटाया गया, और फिर वह किडनी, मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट की गई—यह सब एक प्रिसाइज़ और वेल कोऑर्डिनेटेड सर्जिकल टाइमलाइन के अंतर्गत हुआ। ट्रांसप्लांट सफल रहा और नई किडनी ने तुरंत काम करना शुरू कर दिया। मरीज को छठे दिन अस्पताल से छुट्टी मिल गई और अब डोनर व मरीज दोनों स्वस्थ हैं।
इस केस में मरीज की प्री और पोस्ट ट्रांसप्लांट देखभाल कर रहे, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, नोएडा के नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डॉ. विजय सिन्हा ने बताया, “ABO-इनकंपैटिबल ट्रांसप्लांट में इम्यूनोलॉजिकल रिस्क अधिक होता है और इसके लिए विशेष तैयारी, डीसेंसिटाइजेशन और क्लोज फॉलो अप की आवश्यकता होती है। इस मामले को विशेष बनाता है डोनर किडनी में ट्यूमर की मौजूदगी, जो इसे और अधिक जटिल बनाती है। यह एक सच्ची टीम भावना का उदाहरण है—इम्यूनोलॉजिकल मूल्यांकन से लेकर ऑपरेशन के दौरान देखभाल और ट्रांसप्लांट के बाद की इम्यूनोथेरेपी तक। परिणाम इस बात का प्रमाण है कि मल्टी डिसिप्लिनरी टीमवर्क क्या कुछ हासिल कर सकता है।”
मैक्स अस्पताल नोएडा एडवांस्ड ट्रांसप्लांट प्रोसीजर्स के क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है और सीमित विकल्पों वाले मरीजों को नई उम्मीद देने के लिए निरंतर सीमाओं को पार कर रहा है।