क्या आपको भी है स्पाइन सर्जरी से डर? जानिए हकीकत और भ्रम में फर्क

क्या आपको भी है स्पाइन सर्जरी से डर? जानिए हकीकत और भ्रम में फर्क

सोनीपत: बहुत से लोगों को यह गलतफहमी होती है कि अगर रीढ़ की हड्डी में कोई समस्या है, तो सर्जरी अनिवार्य है। जबकि सच्चाई यह है कि 95% से अधिक मरीज बिना सर्जरी के ही ठीक हो जाते हैं। दवाओं, फिजियोथेरेपी और जीवनशैली में थोड़े से बदलाव से ज्यादातर मामलों में आराम मिल जाता है। 


एक आम सोच यह भी है कि पीठ दर्द तो आजकल सबको होता है, यह जीवन का हिस्सा बन गया है। यह सच है कि लंबे समय तक बैठने से पीठ दर्द बढ़ा है, परंतु यह कोई सामान्य बात नहीं है। सही पोस्चर, नियमित व्यायाम और स्वस्थ आदतों से आप रीढ़ की हड्डी की समस्याओं को शुरू से ही रोक सकते हैं।

 

रीढ़ की हड्डी की समस्याओं और सर्जरी से जुड़ी कई आम भ्रांतियों पर प्रकाश डालते हुए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के ऑर्थोपेडिक स्पाइन सर्जरी विभाग के प्रिंसिपल कंसल्टेंट एवं यूनिट हेड डॉ जितेश मंघवानी ने बताया किकुछ लोग मानते हैं कि स्पाइन सर्जरी कभी सफल नहीं होती। यह पूरी तरह से गलत है। आजकल की आधुनिक तकनीकों जैसे कि मिनिमली इनवेसिव और रोबोटिक सर्जरी से मरीज जल्दी ठीक होते हैं और कुछ ही समय में चलने फिरने लगते हैं। एक बड़ा डर यह भी होता है कि स्पाइन सर्जरी के बाद मरीज लकवाग्रस्त हो जाएगा। यह डर भी एक बड़ा भ्रम है। अगर मरीज सर्जरी से पहले चल सकता है, तो सर्जरी के बाद भी वह चल सकता है। लकवा होना बहुत ही दुर्लभ होता है और यह केवल कुछ विशेष और जटिल मामलों में होता है।

 

कई लोग सोचते हैं कि सर्जरी के बाद वे सामान्य जीवन नहीं जी पाएंगे, लेकिन वास्तविकता यह है कि ज्यादातर मरीज सर्जरी के बाद सीढ़ियां चढ़ते-उतरते हैं, चलने फिरने लगते हैं और सामान्य जीवन जीते हैं, वह भी अस्पताल से डिस्चार्ज होने से पहले ही।

 

डॉ जितेश ने आगे बताया कियह धारणा कि मरीज महीनों तक बिस्तर पर पड़ा रहेगा, बिल्कुल गलत है। अधिकांश मरीज अगले ही दिन चलने लगते हैं। लंबे समय तक बिस्तर पर रहना वास्तव में रिकवरी को धीमा कर देता है। एक और आम मिथक यह है कि एक बार स्पाइन की सर्जरी हो गई, तो मरीज हमेशा दूसरों पर निर्भर रहेगा। जबकि सच्चाई यह है कि सही योजना और तकनीक के साथ की गई सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से स्वतंत्र और सक्रिय जीवन जी सकते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि सर्जरी का असर लंबे समय तक नहीं रहता और एक साल बाद फिर वही दर्द लौट आता है। जबकि यह सरासर गलत है। कई मरीज ऐसे हैं जो 10–15 साल बाद भी पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।

 

सर्जरी के बाद दर्द जाएगा इसकी क्या गारंटी है?” – इसका जवाब है कि अधिकतर मामलों में 100% राहत मिलती है। लंबे समय तक दबे हुए नसों वाले मामलों में भी 90–95% तक राहत मिलती है, जो कि बिना इलाज के जीवन जीने से कहीं बेहतर है।

 

कई बार लोग उम्र को लेकर भी चिंतित रहते हैं, जैसे कि 16 साल की उम्र में या 80 साल से ऊपर की उम्र में सर्जरी सुरक्षित है या नहीं। लेकिन आज की उन्नत तकनीकों की वजह से 80–90 साल के बुजुर्ग भी सर्जरी के अगले दिन चलने लगते हैं। अंततः, हर मरीज अलग होता है। किसी को फिजियोथेरेपी से आराम मिलता है, किसी को नहीं। इसलिए सही निदान और एमआरआई जांच के आधार पर ही इलाज तय करना चाहिए।

 

रीढ़ की हड्डी की समस्याएं अब लाइलाज नहीं हैं। सही जानकारी, सही समय पर इलाज और अनुभवी सर्जन की सलाह से मरीज एक बार फिर सामान्य जीवन जी सकते हैं।

Sample Text