डिजिटल युग में सिरदर्द की बढ़ती समस्या - स्क्रीन टाइम और तनाव

डिजिटल युग में सिरदर्द की बढ़ती समस्या - स्क्रीन टाइम और तनाव

बहादुरगढ़: डिजिटल युग में जहां हर कार्य ऑनलाइन हो गया है—वीडियो कॉल्स पर मीटिंग्स, बच्चों की वर्चुअल क्लासेस, और सोशल मीडिया पर रिलैक्सेशन—वहीं यह सुविधा हमारे स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही है। खासकर, स्क्रीन टाइम और मानसिक तनाव से जुड़े सिरदर्द की समस्या बढ़ रही है, जो अब आम होती जा रही है।


फोन, टैबलेट, कंप्यूटर और टीवी जैसी स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट और लगातार एक ही जगह ध्यान केंद्रित करने की आदत से आंखों में थकान होती है, जिसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहा जाता है। यह टेंशन-टाइप सिरदर्द का कारण बन सकता है। साथ में, गलत मुद्रा और लगातार बिना ब्रेक के स्क्रीन देखने की आदत इस समस्या को और बढ़ा देती है।


मैक्स अस्पताल, शालीमार बाग के न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. के. के. जिंदल ने बताया कि “वहीं तनाव एक और बड़ा कारण है जो अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। लगातार ऑनलाइन रहने का दबाव, काम का तनाव और सोशल मीडिया पर तुलना का सिलसिला मानसिक बोझ बढ़ाता है, जिससे दिमाग की दर्द सहने की क्षमता कम हो जाती है, और सिरदर्द जल्दी शुरू हो जाता है—खासकर माइग्रेन या टेंशन-टाइप सिरदर्द से पीड़ित लोगों में। सबसे चिंताजनक बात यह है कि स्क्रीन और तनाव का यह चक्र एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं। सिरदर्द से चिड़चिड़ापन और नींद की कमी होती है, जिससे तनाव और स्क्रीन पर निर्भरता और बढ़ जाती है। यह चक्र आगे चलकर क्रॉनिक डेली हेडेक या दवाओं के अत्यधिक प्रयोग से होने वाले सिरदर्द का रूप ले सकता है।“


डॉ. जिंदल ने आगे बताया कि “सिरदर्द की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए, खासकर जब यह बार-बार हो रहा हो। यदि सप्ताह में दो से अधिक बार सिरदर्द होता है, उसके साथ मतली, देखने में बदलाव, रोशनी या आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता महसूस होती है, या सिरदर्द के कारण दवाओं पर निर्भरता बढ़ रही है और यह नींद या कामकाज में बाधा डाल रहा है, तो ये माइग्रेन या किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के संकेत हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। सिरदर्द से बचाव के लिए कुछ आसान उपायों को अपनाना फायदेमंद हो सकता है—जैसे 20-20-20 नियम का पालन करना (हर 20 मिनट बाद 20 फीट दूर 20 सेकंड तक देखना), रात में स्क्रीन टाइम कम करना, सही बैठने की मुद्रा बनाए रखना, तनाव कम करने के लिए योग, टहलना या गहरी सांस लेना, और गर्मियों में पर्याप्त पानी पीना तथा भोजन न छोड़ना। इन सावधानियों से सिरदर्द की आवृत्ति को काफी हद तक कम किया जा सकता है।“


अगर सिरदर्द लगातार हो रहा है, समय के साथ बढ़ रहा है, या इसके साथ कमजोरी, बोलने में दिक्कत, देखने में समस्या जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण आ रहे हैं, तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।


डिजिटल युग में जहां टेक्नोलॉजी हमारी ज़रूरत बन चुकी है, वहीं इसके साथ संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है। टेक्नोलॉजी जीवन को आसान बना सकती है, लेकिन अगर यह स्वास्थ्य पर असर डालने लगे, तो सतर्कता ही सबसे बड़ी समझदारी है। 

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